Wednesday, January 27, 2010

ट्रैफिक जाम


ट्रैफिक जाम

महानगर में

बाल बच्चों को भी नहीं दे पाते

उतना समय

जितना बचाकर रखना पड़ता है ट्रैफिक जाम के लिए !


चाहे कटौती करनी पड़े

कसरत वर्जिश- योगा और पूजा में

छोड़नी पड़ें

रिश्ते नातेदारी की बेहद जरूरी औपचारिकताएं

किसी पर कोई रियायत नहीं करता ट्रैफिक

आप चाहे उच्च न्यायलय के न्यायाधीश हों,

मिलनातुर युवाप्रेमी हों या दम तोड़ते मरीज़ !

महानगर में बरसो रहते रहते

समझदार हो जाते हैं बहुत से लोग

वे घबराते नहीं ट्रैफिक जामों से

न गाली गलौच करते उस पर

सहजता से चुन लेते हैं कई जरूरी काम उसी समय के लिए

या तो हाथों में रखते है कोई प्रिय पुस्तक पढ़ने के लिए

या साज-श्रृंगार कर लेते हैं जाम हुए ट्रैफिक के व्यस्त चौराहों पर !


मुंबई दिल्ली के लम्बे प्रवास में

जाम हुए ट्रैफिक के प्रशांत महासागर में तैरते हुए

मैंने भी खोजी हैं चंद कविताए और कहानियाँ !