गजल - ५
वो रोजे तक कजा नही करते
हम नमाज भी अदा नही करते
सदियों की दूरियां हैं हमारे दरमियां
फासले इतनी जल्दी मिटा नही करते
क्यूं सजदा सा करते हो आतताई का
फरिस्ते इस तरह झुका नही करते
ठिठक कर दायें बायें मत देखो
राह मे यूं रुका नही करते
हम तो लंबी डगर के घोडे हैं राकेश
दिनों महीनों का मुताअ नहीं करते
Friday, July 2, 2010
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