Friday, June 18, 2010

गजल- 3

                          मीडिया


मीडिया पर माया का खौफ सा छाया हुआ


मीडिया अब आम लोगों के लिये माया हुआ




औरतों के जिस्म जो छपते थे पेज तीन पर


अब हर एक पेज पर मुद्द्दा यही छाया हुआ



सुर्ख खबरों का कोई आम से ताल्लुक नहीं


इन सभी खबरों का मौजू खास सरमाया हुआ




दंगा फसादी और फैशन दो बडे मसलए बने


इल्मो-अदब की पैरवी से भी कतराया हुआ



राकेश जब जम्हूरिअत लंगडी हुई है मुल्क की


मीडिया इस दौर मे रात का साया हुआ

3 comments:

  1. मीडिया से इस तरह क्यों हैं खफा राकेशजी

    कुछ तो है जो ताज भी रहता है घबराया हुआ

    आजकल गज़लें खूब बन रहीं हैं . अच्छी बात है.

    ReplyDelete
  2. राय साहब मीडिया पर खफा होने की बात नही है। आज कल का माहौल तो लगभग सभी स्तंभों पर खफा होने का है। मैं तो सबसे ज्यादा आम नागरिक पर ही खफा हूं और उसमे कम ज्यादा मेरा भी हिस्सा है।

    ReplyDelete
  3. पालीवालजी, हमें खुद आगे आना होगा. हम खफा तब होते हैं, जब किसी से अपेक्षा करते हैं या किसी का इंतजार करले हैं. हममें सॆ ज़्यादातर यही विकल्प चुनते हैं. आगे बढ्ने का फैसला करना और बढ जाना, यह विकल्प कौन चुनता है. जो ऐसा करेगा, वह किसी पर नाराज नहीं होगा, किसी से खफा नहीं होगा. धन्यवाद.

    ReplyDelete