Monday, April 5, 2010

आबिद सुरती और आर .के.पालीवाल की अंतरंग वार्ता - 2


आपने गुजराती और हिन्दी दोनों ही भाषाओं में काफी लिखा है। जाहिर है गुजराती ओर हिन्दी साहित्य आपने पढ़ा भी काफी होगा । इन दोनों भाषाओं के साहित्य को एक आलोचक की नजर से तुलनात्मक रूप में आप कहां पाते हैं। मेरा आशय इनकी परस्पर तुलना ओर विश्व साहित्य के बर अक्श स्तिथी से है।

मै तो अपनी सीमित जानकारी के आधार पर मोटा मोटी ही इस सवाल का जवाब दे पाऊंगा। इसका सही आकलन तो आलोचक ही कर सकते हैं।जहां तक गुजराती ओर हिन्दी साहित्य की तुलना का प्रश्न है मेरा मानना है कि दोनो मे अच्छा साहित्य रचा गया है। हिन्दी मे जिस तरह प्रेमचंद के बाद नई कहानी,प्रगतिवाद,समांतर कहानी आदि आन्दोलन हुए वैसे ही प्रयोग ओर प्रगतिशीलता से गुजराती साहित्य मे भी काफी परिपक्वता आई है। मोहन राकेश आदि ने जिस तरह के बद्लाव हिन्दी साहित्य मे किये गुजराती मे भी नये प्रयोगों से नया साहित्य रचा गया। मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा ।मुझे याद नही पडता कि हिन्दी के किसी लेखक ने अपनी कहानी मे रोमान्टिक माहोल दर्शाने के लिए चांद तारों की जगह दोपहर के सूरज ओर चिलचिलाती धूप का इस्तेमाल किया हो। गुजराती के कथाकार सुरेश जोशी ने अब से तीस साल पहले एक प्रेम कहानी मे इस तरह के नये प्रतीक गढे हैं। इससे आप अंदाज लगा सकते हैं कि गुजराती कहानी हिन्दी कहानी से कतई कम नही है।

वैसे भी आजकल एक भाषा से दूसरी मे खूब अनुवाद हो रहे हैं। साहित्य अकादमी राष्ट्रीय स्तर पर और कई प्रादेशिक संस्थाए भी इस काम मे जुटी हैं। ऐसे माहोल मे देश विदेश की बाकी भाषाओं मे हो रहे प्रयोगों का असर समूचे साहित्य पर पडता है।

गुजराती कथाकारों मे आप किन अग्रज एवम समकालीन कथाकारों से अधिक प्रभावित हैं
जहां तक गुजराती कहानी और मेरे पसंदीदा कथाकारों की बात है उसमे सबसे पहले तो यह बताना चाहूंगा कि गुजराती और हिन्दी कहानी की शुरूआत लगभग एक साथ हुई थी। जैसे हिन्दी की आधुनिक कहानी का आरंभ बीसवी शताब्दी के आरंभिक वर्षों मे हुआ वैसे ही 1918 मे प्रकाशित कंचनलाल मेहता मलयानिल की कहानी गोवालणी (ग्वालिन) को गुजराती की आधुनिक कलेवर की कहानी मानते हैं। इसके बाद धूमकेतु की कहानियों ने गुजराती कहानी को बहुत महत्वपूर्ण बदलाव दिया। धूमकेतु ने जीवन के यथार्थ को कहानी से जोडा। राम नरायण द्विरेफ ने अपनी कहानियों मे मानव मन की गुत्थियों को बडी कुशलता से खोला है।

गुजराती कहानी को गांधीजी के राजनीतिक चिन्तन और रूसी क्रान्ति ने भी काफी प्रभावित किया। झवेरचन्द मेघाणी जो पत्रकार के साथ साथ लोक साहित्य के विकट जानकार थे उन्होने कहानी मे आम आदमी का प्रवेश किया। चुन्नीलाल मडिया ने ग्रामीण और शहरी समाज पर व्यंग्य के पुट वाली असरदार कहानियां लिखी।

मेरी नजर मे सुरेश जोशी गुजराती के बेहद सशक्त कथाकार हैं। जोशी ने पाश्चात्य साहित्य का अच्छा खासा अध्ययन किया था। एक तरह से उनकी कहानियों ने भी गुजराती कहानी को नये आयाम दिये।

कई स्त्री कथाकारों का भी गुजराती कहानी लेखन मे महत्वपूर्ण योगदान है। कुन्दनिका कपाडिया, सरोज पाठक, वर्षा अडालजा, हिमांशी सेलत, अंजलि खांडवाला और तारिणी देसाई गुजराती की अग्रणी कथा लेखिका हैं।

वर्तमान भारतीय कहानी जगत मे गुजराती कहानी का महत्वपूर्ण स्थान है। पवन कुमार जैन, कनु अडासी, प्रवीण सिंह चावडा, ध्रुव भट्ट आदि कई कथाकार अच्छी कहानियां लिख रहे हैं। इनकी कहानिओं मे कथा तत्व और कला तत्व दोनों मोजूद हैं।


1 comment:

  1. पालीवाल जी आपके ब्लॉग पर आके अच्छा लगा, आप अच्छा लिखते है, हम चाहते हैं की आप की रचनाये अधिक अधिक लोंगो तक पहुंचे लिहाजा आप भारतीय ब्लॉग लेखक मंच से जुड़कर अपना योगदान दे, यह सभी भारतीय ब्लोगरो का साझा मंच है. हमें मेल भेजे. editor.bhadohinews@gmail.com

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